Maha mritunjay mantra in hindi sanskrit, महा मृत्युंजय मंत्र, mahamrityunjay mantra songs images video,dharmkagyaan
महा मृत्युंजय मन्त्र जो कि मृत्यु पर
विजय प्रदान करता है।
इसकी रचना तब हुई जब मृतन्ग
मुनि के भाग्य में कोई संतान नही
थी और वे और उनकी पत्नी इस बात
से बहुत दुखी । इस दुख को दूर करने
के लिए मुनि ने शिव की आराधना की
कि जिससे पसन्न होकर शिवजी ने उन्हें
पुत्र का वरदान दिया । किन्तु पुत्र प्राप्ति के
हर्ष के साथ ही उन्हें एक कष्ट भी मिला
जब उन्हें पता चला कि उनके पुत्र मारकण्डे
की आयु अल्प (12 वर्ष )हैं।
धीरे धीरे मारकण्डे बड़े होने लगे और उनके
माता पिता की चिंता बढ़ने लगी।
एक दिन मारकण्डे के पूछने पर उनकी माता
अपनी चिंता की वजह बताई।
फिर मारकण्डे के उन्हें आश्वासन देते हुए
कहा आप चिंता ना करिये जिस महादेव ने
मुझे जीवन दिया है । अब वही मुझे दीर्धायु भी
प्रदान करेंगे । फिर व समय आया मार कण्डे ने
शिव की आराधना शुरू कर दी और माह
मृत्युंजय मंत्र की रचना की और उसका जप
करने लग ।
जब यमदूत उनके प्राण हरने आए तो शिव
की आराधना में लीन भक्त को छूने की उनकी
हिम्मत नही हुई और वे लौट गए और सारी बात
काल को बताई यह सुन कर काल स्वयम आये और
काल को अपने सामने देख मारकण्डे शिव लिंग
से लिपट गये। और जोर जोर से मृत्युंजय मंत्र का
जप करने लगे ।और जैसे ही काल ने उनकी तरफ हाँथ
बढ़ाया शिव लिंग से स्वयं महाकाल शिव प्रकट
हो गए और काल से बोले मेरी आरधना में लिन
भक्त के प्राण लेने की तुम्हरी हिम्मत भी कैसे हुई
शिवजी का रुद्र रूप देख कर काल कापने लगा और
बोला प्रभु मुझे छामा कर दीजिये ।किन्तु मुझे आप
की ही आज्ञा से ही लोगो के प्राण हरने का निष्ठुर
कार्य मिला है तो शिव जी बोले मैने इसे दीर्धायु
प्रदान किया है। तो काल बोला जैसी आप की आज्ञा
और अब जो भी आप के इस मंत्र का जप करेगा
मेरी तरफ से किसी भी प्रकार की पीड़ा उसे नही मिलेगी
इस प्रकार मृत्यू पर विजय प्राप्त करने वाले महा मृत्युंजय
मंत्र की रचना सम्पन हुई
विजय प्रदान करता है।
इसकी रचना तब हुई जब मृतन्ग
मुनि के भाग्य में कोई संतान नही
थी और वे और उनकी पत्नी इस बात
से बहुत दुखी । इस दुख को दूर करने
के लिए मुनि ने शिव की आराधना की
कि जिससे पसन्न होकर शिवजी ने उन्हें
पुत्र का वरदान दिया । किन्तु पुत्र प्राप्ति के
हर्ष के साथ ही उन्हें एक कष्ट भी मिला
जब उन्हें पता चला कि उनके पुत्र मारकण्डे
की आयु अल्प (12 वर्ष )हैं।
धीरे धीरे मारकण्डे बड़े होने लगे और उनके
माता पिता की चिंता बढ़ने लगी।
एक दिन मारकण्डे के पूछने पर उनकी माता
अपनी चिंता की वजह बताई।
फिर मारकण्डे के उन्हें आश्वासन देते हुए
कहा आप चिंता ना करिये जिस महादेव ने
मुझे जीवन दिया है । अब वही मुझे दीर्धायु भी
प्रदान करेंगे । फिर व समय आया मार कण्डे ने
शिव की आराधना शुरू कर दी और माह
मृत्युंजय मंत्र की रचना की और उसका जप
करने लग ।
जब यमदूत उनके प्राण हरने आए तो शिव
की आराधना में लीन भक्त को छूने की उनकी
हिम्मत नही हुई और वे लौट गए और सारी बात
काल को बताई यह सुन कर काल स्वयम आये और
काल को अपने सामने देख मारकण्डे शिव लिंग
से लिपट गये। और जोर जोर से मृत्युंजय मंत्र का
जप करने लगे ।और जैसे ही काल ने उनकी तरफ हाँथ
बढ़ाया शिव लिंग से स्वयं महाकाल शिव प्रकट
हो गए और काल से बोले मेरी आरधना में लिन
भक्त के प्राण लेने की तुम्हरी हिम्मत भी कैसे हुई
शिवजी का रुद्र रूप देख कर काल कापने लगा और
बोला प्रभु मुझे छामा कर दीजिये ।किन्तु मुझे आप
की ही आज्ञा से ही लोगो के प्राण हरने का निष्ठुर
कार्य मिला है तो शिव जी बोले मैने इसे दीर्धायु
प्रदान किया है। तो काल बोला जैसी आप की आज्ञा
और अब जो भी आप के इस मंत्र का जप करेगा
मेरी तरफ से किसी भी प्रकार की पीड़ा उसे नही मिलेगी
इस प्रकार मृत्यू पर विजय प्राप्त करने वाले महा मृत्युंजय
मंत्र की रचना सम्पन हुई
।। महा मृत्युंजय मन्त्र ।।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम पुष्टि वर्धनम ।
उर्वा रुकमिव वन्दनात ,मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ।।
उर्वा रुकमिव वन्दनात ,मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ।।
महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है इस मंत्र का जाप करने से बहुत सी परेशानियां दूर हो जाती है.
ReplyDeletevery nice shayari sir
ReplyDeleteमंत्र की शिव वास से प्रारंभ करना चाहिए।
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