Jako rakhe saiya mar sake na koi, bhakti bhajan dharmkagyaan
जय श्रीकृष्ण
दोस्तो यह सच्ची घटना पे
आधारित एक कहानी है।
जिसकी सुरुआत होती है
उत्तरप्रदेश बरेली के एक गाव से । जहां हितेश
आज समाज मे बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता
फैलाने के अथक प्रयास किए जा रहे हैं पर कुछ घटनाएं
समाज पर सवाल खड़े कर देती हैं।
(जाको राखे साईया मार सके ना कोई )
बच्ची की हालत देख डॉक्टर भी इसे करिश्मे से कम नहीं
मान रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार शरीर ठंडा पड़ने पर शिशु
अधिकतम दो से ढाई घंटे ही जीवत रह पाता है। सूखी मिट्टी
होने से कारण ऑक्सीजन मिलती रही जिससे बच्ची जीवित रही।
(धरती पे अच्छे लोगो की कमी नही)
बिथरी चैनपुर के विधायक N राजेश मिश्रा ने बच्ची के
इलाज की जिम्मेदारी ली है। उसका वजन करीब एक किलो
एक सौ ग्राम है। शरीर ठंडा पड़ चुका है और संक्रमण भी है। पर-हालत ठीक है।
-विनीत शुक्ला, सीएमओ, बरेली
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ के अनुसार प्री-मेच्योर
- व कम वजन के बच्चों में अक्सर इस तरह के
चमत्कार देखे गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि
दिल की धडकन थमने के काफी देर तक हल्की-
" हल्की धड़कन चलती रहती है।
स्रोत-
https://m.patrika.com/bareilly-news/dead-girl-went-to-bury-life-girl-found-three-feet-below-ground-5204178/
दोस्तो यह सच्ची घटना पे
आधारित एक कहानी है।
जिसकी सुरुआत होती है
उत्तरप्रदेश बरेली के एक गाव से । जहां हितेश
कुमार सिरोही के नवजात बच्ची की मौत हो जाती है।
जिसे दफनाने के लिए वह सीबीगंज स्थित शमशान
जाता हैं। और गड्ढा खोदने पर अचानक उसके हाँथ
एक घड़ा मिलता है। जिसे देख कर वह डर जाता
है। और जब वह उस मटके को खोलता है। तो
कापने लगता है। और बहुत डर जाता है ।
क्योंकि मटके के अंदर एक जिंदा नवजात
बच्ची थी। ये देख कर उनके होश उड़ चुके थे । फिर भी
हिम्मत करके कापते हुए हांथो से बच्ची को निकाला(नशीब की वस्तु कोई नही छीन सकता मौत भी )
और बाहर लाके दूध पिलाने के बाद जिला महिला अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती कराया जहां उसका इलाज चल रहा है । बच्ची की देखरेख के लिए कई डॉ और नर्स हैं।
और बाहर लाके दूध पिलाने के बाद जिला महिला अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती कराया जहां उसका इलाज चल रहा है । बच्ची की देखरेख के लिए कई डॉ और नर्स हैं।
जाँच से पता चला
तीन दिन पहले में किसी ने एक बच्ची को मटके में
रखकर जमीन में तीन फिट नीचे जिंदा दफन कर दिया
था।
था।
आज समाज मे बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता
फैलाने के अथक प्रयास किए जा रहे हैं पर कुछ घटनाएं
समाज पर सवाल खड़े कर देती हैं।
(जाको राखे साईया मार सके ना कोई )
बच्ची की हालत देख डॉक्टर भी इसे करिश्मे से कम नहीं
मान रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार शरीर ठंडा पड़ने पर शिशु
अधिकतम दो से ढाई घंटे ही जीवत रह पाता है। सूखी मिट्टी
होने से कारण ऑक्सीजन मिलती रही जिससे बच्ची जीवित रही।
(धरती पे अच्छे लोगो की कमी नही)
बिथरी चैनपुर के विधायक N राजेश मिश्रा ने बच्ची के
इलाज की जिम्मेदारी ली है। उसका वजन करीब एक किलो
एक सौ ग्राम है। शरीर ठंडा पड़ चुका है और संक्रमण भी है। पर-हालत ठीक है।
-विनीत शुक्ला, सीएमओ, बरेली
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ के अनुसार प्री-मेच्योर
- व कम वजन के बच्चों में अक्सर इस तरह के
चमत्कार देखे गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि
दिल की धडकन थमने के काफी देर तक हल्की-
" हल्की धड़कन चलती रहती है।
स्रोत-
https://m.patrika.com/bareilly-news/dead-girl-went-to-bury-life-girl-found-three-feet-below-ground-5204178/
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