Raskhan aur krishna
।।जय श्री कृष्ण।।
रसखान का जीवन परिचय
रसखान बाबा और श्री कृष्ण के बीच बडा
हि सुंदर सम्बन्ध रहा है।
यह वाक्या उस समय का है जब रसखान
जी अपने नजदीक ही एक पान की दुकान पे गए
और गए और उस दुकान में देखा की भगवान श्री
कृष्ण की एक बहुत सुंदर तस्वीर लगी हुई थी
जिसे देख कर रसखान मोहित हो गए और दुकान
वाले से पूछ बैठे की ये तस्वीर में बालक कौन है
और इसके पाव में जूते क्यों नही है
इसपे दुकानदार बोला ये श्याम हैं और अगर
इनके पाव में जुते नही तो तुम्ही पहना दो।
यह बात रसखान के मन को लग गयी और
वह श्याम जी के लिए जूता लेकर घर से निकल पड़े
कई दिनो तक खोजने के बाद किसी ने बताया कि बे
वृन्दावन में मिलेंगे फिर कई दिनों की पैदल नंगे पांव
यात्रा के बाद वे वृंदावन पहुचे लेकिन अलग धर्म के
कारण लोगो ने उन्हें अंदर नही जाने दिया ।और वे
वही सीढ़ियों के बैठ गए । यह सोच कर की कभी तो
श्याम बाहर आएगा मैं तब उसे जूते पहना दूंगा लेकिन
इंतजार के कई दिन बीत गए। फिर एक दिन प्रातःकाल के समय रसखान जी सीढ़ियों पर बैठे तभी उन्हें कुछ
आहट सुनाई दी और वे इधर उधर देखने लगे और देखते है वही नन्हा सा बालक जो उस तस्वीर में था
वह उनके पास बैठा था।
यह देख कर उनकी आंखें खुली की खुली रह
जाती है ।
और जैसे ही रसखान श्याम के पाव में जूता
पहनने के लिए पाव को उठाते है ।तो देखते है कि पाव में बहुत से काटे और चोट लगे हुए थे उन्हें ने पूछ ये
कैसे हो गए । तो श्री श्याम जी ने कहा आप ने मेरे
जिस रूप को देखा था । वह मेरा गोकुल का रूप है
इसीलिए मुझे उसी रूप में गोकुल से पैदल आना पड़ा
इतमे में रसखान परमपिता परमेश्वर को पहचान
चुके थे और वह नन्हा बालक वहा से अलोप हो चुका
था।
रसखान बाबा ने परम अलौकिक दिव्य दर्शन के
बाद अपना सम्पूर्ण जीवन कृष्ण भक्ति में व्यतीत कर
दिया।
रसखान कृष्ण भक्तो में उच्च स्थान रखते है
और हिंदी साहित्य के महान कवि कहे जाते
है।
रसखान का जीवन परिचय
very nice shayari sir
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